Manoj Bajpayee : आख़िर क्यों जीना नेही चाहते थे Manoj Bajpayee

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, जहां Manoj Bajpayee बचपन से एक्टिंग की पढ़ाई का सपना देखा था, उन्हें एक बार नहीं बल्कि तीन बार रिजेक्ट किया। बिहार के एक सुदूर गांव का रहने वाला यह लड़का फिल्मों में काम करने के लिए दिल्ली के विभिन्न स्टूडियो में ऑडिशन देता था। हालांकि भोजपुरी की खींचतान देखकर कोई भी लड़के को फिल्मों में काम करने का मौका नहीं देता था। और जिन्होंने एक्टिंग करने का मौका दिया उन्होंने लड़के को एक पैसा भी नहीं दिया।  

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इसी बीच जिस शख्स से उसने प्यार के लिए शादी की थी, उसे भी तलाक दे दिया। अपने सपनों के स्कूल से बार-बार रिजेक्ट होने के कारण एक्टिंग से पेट नहीं भर रहा था, उनके चाहने वालों ने उनका साथ छोड़ दिया। हमारी पीढ़ी के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक Manoj Bajpayee ऐसी स्थिति में आत्महत्या करना चाहते थे। और आज उनका नाम बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेताओं में गिना जाता है।

Manoj Bajpayee ने गैंगसफ वसीबुर, साथिया या अलीगढ़ जैसी क्लासिक फिल्मों में काम किया है।  आइए आज जानते हैं अभिनेता Manoj Bajpayee के बारे में कुछ अनजानी बातें।

Manoj Bajpayee का जन्म बिहार के एक गरीब परिवार में हुआ था। Manoj Bajpayee के पिता ने अपने बेटे का नाम तत्कालीन लोकप्रिय अभिनेता मनोज कुमार के नाम पर मनोज रखा। भले ही उनका नाम एक बॉलीवुड अभिनेता के नाम पर रखा गया था, लेकिन पिता चाहते थे कि उनका बेटा एक महान डॉक्टर बने। पिता के पास अपने बेटे को स्कूल में पढ़ाने की क्षमता नहीं थी, इसलिए मनोज ने प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल में शुरू की।

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उस वक्त तक Manoj Bajpayee के दिमाग में सिनेमा का कीड़ा सवार था। वह दीवार से अमिताभ बच्चन के पोस्टर फाड़कर अपने संग्रह में रखते थे। Manoj Bajpayee का बचपन से ही नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में पढ़ने का सपना था।

दिल्ली आने के बाद, वह राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में प्रवेश के लिए उपस्थित हुए। हालांकि मनोज वाजपेयी को पहली बार अयोग्य घोषित किया गया था। इसके बाद उन्होंने दो बार और परीक्षा दी। और हर बार उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया।  नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से तीन बार रिजेक्ट होने के बाद वह टूट गए।

बचपन से देखा फिल्मों में काम करने का सपना नहीं होगा पूरा? यही Manoj Bajpayee ने सोचा था।  तभी रघुबीर यादव उनकी मदद के लिए आगे आए। जी हां, ये है चर्चित वेब सीरीज पंचायत प्रधान जी।

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Manoj Bajpayee को अभिनय की शिक्षा रघुवीर यादव ने दी थी। राष्ट्रीय सुलभ नाटक में Manoj Bajpayee रद्द हुआ तो क्या हुया, रघुवीर यादव जैसे तुखोर अभिनेता से अभिनय सीखकर मनोज बाजपेयी बहुत जल्दी अभिनेता बन गए। एक प्रतिभाशाली अभिनेता होने के बावजूद, वह एक के बाद एक फिल्मों के ऑडिशन में असफल होते जा रहे थे।

और तो और कुछ फिल्मों में काम करने के बाद भी उन्हें पैसे नहीं मिले, उनकी पत्नी ने भी उन्हें छोड़ दिया। ऐसे में Manoj Bajpayee की अभिनेता बनने की इच्छा कोसों दूर थी, जीने की इच्छा जा चुकी थी। रघुबीर यादव ने ही उन्हें कहा था कि सब्र करो, सब्र से लड़ने का फल मिला।

एक दिन Manoj Bajpayee को प्रसिद्ध निर्देशक रामगोपाल वर्मा की फिल्म में काम करने का बुलावा आया।  इस एक फिल्म ने बदल दी Manoj Bajpayee की जिंदगी। 1998 में रिलीज हुई रामगोपाल वर्मा की सत्या के जरिए Manoj Bajpayee ने ऐलान किया कि वह बॉलीवुड पर राज करने आए हैं।  सत्या के अलावा, गैंगसफ वसीबुर, मनोज वाजपेयी के पास अलीगढ़ या स्पेशल 26 जैसी कालातीत फिल्में हैं।

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